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PRESIDENTS ADDRESS TO THE NATION ON THE EVE OF INDIAS 71ST INDEPENDENCE DAY, 2017 (in Hindi)

Posted on: August 15, 2017 | Back | Print

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या (14 अगस्त, 2017) पर माननीय राष्ट्रपति महोदय का राष्ट्र के नाम संदेश   

राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगे हुए मेरे प्यारे देशवासियो,

     स्वतंत्रता के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। कल देश आजादी की 71वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। इस वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर मैं आप सबको हार्दिक बधाई देता हूं।   

     15 अगस्त, 1947 को हमारा देश एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था। संप्रभुता पाने के साथ-साथ उसी दिन से देश की नियति तय करने की जिम्मेदारी भी ब्रिटिश हुकूमत के हाथों से निकलकर हम भारतवासियों के पास आ गई थी। कुछ लोगों ने इस प्रक्रिया को सत्ता का हस्तांतरण भी कहा था।    

     लेकिन वास्तव में वह केवल सत्ता का हस्तांतरण नहीं था। वह एक बहुत बड़े �"र व्यापक बदलाव की घड़ी थी। वह हमारे समूचे देश के सपनों के साकार होने का पल था - ऐसे सपने जो हमारे पूर्वजों �"र स्वतंत्रता सेनानियों ने देखे थे। अब हम एक नये राष्ट्र की कल्पना करने �"र उसे साकार करने के लिए आजाद थे।

     हमारे लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि स्वतंत्र भारत का उनका सपना, हमारे गांव, गरीब �"र देश के समग्र विकास का सपना था।  

     आजादी के लिए हम उन सभी अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों के ऋणी हैं जिन्होंने इसके लिए कुर्बानियां दी थीं।

     कित्तूर की रानी चेन्नम्मा, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, भारत छोड़ो आंदोलन की शहीद मातंगिनी हाज़रा जैसी वीरांगना�"ं के अनेक उदाहरण हैं।

     मातंगिनी हाज़रा लगभग 70 वर्ष की बुजुर्ग महिला थीं। बंगाल के तामलुक में एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करते समय ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें गोली मार दी थी। वंदे मातरम् उनके होठों से निकले आखिरी शब्द थे �"र भारत की आज़ादी, उनके दिल में बसी आखिरी इच्छा।

     देश के लिए जान की बाजी लगा देने वाले सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, तथा बिरसा मुंडा जैसे हजारों स्वतंत्रता सेनानियों को हम कभी नहीं भुला सकते।

     आजादी की लड़ाई की शुरुआत से ही हम सौभाग्यशाली रहे हैं कि देश को राह दिखाने वाले अनेक महापुरुषों �"र क्रांतिकारियों का हमें आशीर्वाद मिला।

     उनका उद्देश्य सिर्फ राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करना नहीं था। महात्मा गांधी ने समाज �"र राष्ट्र के चरित्र निर्माण पर बल दिया था। गांधीजी ने जिन सिद्धांतों को अपनाने की बात कही थी, वे हमारे लिए आज भी प्रासंगिक हैं।  

     राष्ट्रव्यापी सुधार �"र संघर्ष के इस अभियान में गांधीजी अकेले नहीं थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जब तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा का आह्वान किया तो हजारों-लाखों भारतवासियों ने उनके नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ते हुए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।

     नेहरूजी ने हमें सिखाया कि भारत की सदियों पुरानी विरासतें �"र परंपराएं, जिन पर हमें आज भी गर्व है, उनका टेक्नॉलॉजी के साथ तालमेल संभव है, �"र वे परंपराएं आधुनिक समाज के निर्माण के प्रयासों में सहायक हो सकती हैं।  

     सरदार पटेल ने हमें राष्ट्रीय एकता �"र अखंडता के महत्व के प्रति जागरूक किया; साथ ही उन्होंने यह भी समझाया कि अनुशासन-युक्त राष्ट्रीय चरित्र क्या होता है। 

     बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने संविधान के दायरे मे रहकर काम करने तथा कानून के शासन की अनिवार्यता के विषय में समझाया। साथ ही, उन्होंने शिक्षा के बुनियादी महत्व पर भी जोर दिया।

     इस प्रकार मैंने देश के कुछ ही महान नेता�"ं के उदाहरण दिए हैं। मैं आपको �"र भी बहुत से उदाहरण दे सकता हूं। हमें जिस पीढ़ी ने स्वतंत्रता दिलाई, उसका दायरा बहुत व्यापक था, उसमें बहुत विविधता भी थी। उसमें महिलाएं भी थीं �"र पुरुष भी, जो देश के अलग-अलग क्षेत्रों �"र विभिन्न राजनीतिक �"र सामाजिक विचारधारा�"ं का प्रतिनिधित्व करते थे।

     आज देश के लिए अपने जीवन का बलिदान कर देने वाले ऐसे वीर स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने का समय है। आज देश के लिए कुछ कर गुजरने की उसी भावना के साथ राष्ट्र निर्माण में सतत जुटे रहने का समय है।

     नैतिकता पर आधारित नीतियों �"र योजना�"ं को लागू करने पर उनका जोर, एकता �"र अनुशासन में उनका दृढ़ विश्वास, विरासत �"र विज्ञान के समन्वय में उनकी आस्था, विधि के अनुसार शासन �"र शिक्षा को प्रोत्साहन, इन सभी के मूल में नागरिकों �"र सरकार के बीच साझेदारी की अवधारणा थी।  

     यही साझेदारी हमारे राष्ट्र-निर्माण का आधार रही है - नागरिक �"र सरकार के बीच साझेदारी, व्यक्ति �"र समाज के बीच साझेदारी, परिवार �"र एक बड़े समुदाय के बीच साझेदारी।

मेरे प्यारे देशवासियो,

     अपने बचपन में देखी गई गांवों की एक परंपरा मुझे आज भी याद है। जब किसी परिवार में बेटी का विवाह होता था, तो गांव का हर परिवार अपनी-अपनी जिम्मेदारी बांट लेता था, �"र सहयोग करता था। जाति या समुदाय कोई भी हो, वह बेटी उस समय सिर्फ एक परिवार की ही बेटी नहीं, बल्कि पूरे गांव की बेटी होती थी।

     शादी में आने वाले मेहमानों की देखभाल, शादी के अलग-अलग कामों की जिम्मेदारी, यह सब पड़ोसी �"र गांव के सारे लोग आपस में तय कर लेते थे। हर परिवार, कोई न कोई मदद जरूर करता था। कोई परिवार शादी के लिए अनाज भेजता था, कोई सब्जियां भेजता था, तो कोई तीसरा परिवार जरूरत की अन्य चीजों के साथ पहुंच जाता था।  

     उस समय पूरे गांव में अपनेपन का भाव होता था, साझेदारी का भाव होता था, एक दूसरे की सहायता करने का भाव होता था। यदि आप जरूरत के समय अपने पड़ोसियों की मदद करेंगे तो स्वाभाविक है कि वे भी आपकी जरूरत के समय मदद करने के लिए आगे आएंगे।

     लेकिन आज, बड़े शहरों में स्थिति बिल्कुल अलग है। बहुत से लोगों को वर्षों तक यह भी नहीं मालूम होता कि उनके पड़ोस में कौन रहता है। इसलिए, गांव हो या शहर, आज समाज में उसी अपनत्व �"र साझेदारी की भावना को पुनः जगाने की आवश्यकता है। इससे हमें एक दूसरे की भावना�"ं को समझने �"र उनका सम्मान करने में तथा एक संतुलित, संवेदनशील �"र सुखी समाज का निर्माण करने में मदद मिलेगी। 

     आज भी एक दूसरे के विचारों का सम्मान करने का भाव, समाज की सेवा का भाव, �"र खुद आगे बढ़कर दूसरों की मदद करने का भाव, हमारी रग-रग में बसा हुआ है। अनेक व्यक्ति �"र संगठन, गरीबों �"र वंचितों के लिए चुपचाप �"र पूरी लगन से काम कर रहे हैं।

     इनमें से कोई बेसहारा बच्चों के लिए स्कूल चला रहा है, कोई लाचार पशु-पक्षियों की सेवा में जुटा है, कोई दूर-दराज के इलाकों में आदिवासियों तक पानी पहुंचा रहा है, कोई नदियों �"र सार्वजनिक स्थानों की सफाई में लगा हुआ है। अपनी धुन में मगन ये सभी राष्ट्र निर्माण में संलग्न हैं। हमें इन सब से प्रेरणा लेनी चाहिए।

     राष्ट्र निर्माण के लिए ऐसे कर्मठ लोगों के साथ सभी को जुड़ना चाहिए; साथ ही सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का लाभ हर तबके तक पहुंचे इसके लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए। इसके लिए नागरिकों �"र सरकार के बीच साझेदारी महत्वपूर्ण हैः  

          ¨  सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया है लेकिन भारत को स्वच्छ बनाना - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।

     ¨  सरकार शौचालय बना रही है �"र शौचालयों के निर्माण को प्रोत्साहन दे रही है, लेकिन इन शौचालयों का प्रयोग करना �"र देश को खुले में शौच से मुक्त कराना - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।  

     ¨  सरकार देश के संचार ढांचे को मजबूत बना रही है, लेकिन इंटरनेट का सही उद्देश्य के लिए प्रयोग करना, ज्ञान के स्तर में असमानता को समाप्त करना, विकास के नए अवसर पैदा करना, शिक्षा �"र सूचना की पहुंच बढ़ाना -  हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।      

     ¨  सरकार बेटी बचा�" - बेटी पढ़ा�" के अभियान को ताकत दे रही है लेकिन यह सुनिश्चित करना कि हमारी बेटियों के साथ भेदभाव न हो �"र वे बेहतर शिक्षा प्राप्त करें - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है। 

     ¨  सरकार कानून बना सकती है �"र कानून लागू करने की प्रक्रिया को मजबूत कर सकती है लेकिन कानून का पालन करने वाला नागरिक बनना, कानून का पालन करने वाले समाज का निर्माण करना - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है। 

     ¨  सरकार पारदर्शिता पर जोर दे रही है, सरकारी नियुक्तियों �"र सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार समाप्त कर रही है, लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी में अपने अंतःकरण को साफ रखते हुए कार्य करना, कार्य संस्कृति को पवित्र बनाए रखना - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है। 

     ¨  सरकार ने टैक्स की प्रणाली को आसान करने के लिए जी.एस.टी. को लागू किया है, प्रक्रिया�"ं को आसान बनाया है; लेकिन इसे अपने हर काम-काज �"र लेन-देन में शामिल करना तथा टैक्स देने में गर्व महसूस करने की भावना को प्रसारित करना - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।

     मुझे खुशी है कि देश की जनता ने जी.एस.टी. को सहर्ष स्वीकारा है। सरकार को जो भी राजस्व मिलता है, उसका उपयोग राष्ट्र निर्माण के कार्यों में ही होता है। इससे किसी गरीब �"र पिछड़े को मदद मिलती है, गांवों �"र शहरों में बुनियादी सुविधा�"ं का निर्माण होता है, �"र हमारे देश की सीमा�"ं की सुरक्षा मजबूत होती है। 

प्यारे देशवासियो,

     सन् 2022 में हमारा देश अपनी आजादी के 75 साल पूरे करेगा। तब तक न्यू इंडिया के लिए कुछ महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने का हमारा राष्ट्रीय संकल्प है।

     जब हम न्यू इंडिया की बात करते हैं तो हम सबके लिए इसका क्या अर्थ होता है? कुछ तो बड़े ही स्पष्ट मापदंड हैं जैसे - हर परिवार के लिए घर, मांग के मुताबिक बिजली, बेहतर सड़कें �"र संचार के माध्यम, आधुनिक रेल नेटवर्क, तेज �"र सतत विकास।

     लेकिन इतना ही काफी नहीं है। यह भी जरूरी है कि न्यू इंडिया हमारे डीएनए में रचे-बसे समग्र मानवतावादी मूल्यों को समाहित करे। ये मानवीय मूल्य हमारे देश की संस्कृति की पहचान हैं। यह न्यू इंडिया एक ऐसा समाज होना चाहिए, जो भविष्य की �"र तेजी से बढ़ने के साथ-साथ, संवेदनशील भी होः  

     ¨  एक ऐसा संवेदनशील समाज, जहां पारंपरिक रूप से वंचित लोग, चाहे वे अनुसूचित जाति के हों, जनजाति के हों या पिछड़े वर्ग के हों, देश के विकास प्रक्रिया में सहभागी बनें।

     ¨  एक ऐसा संवेदनशील समाज, जो उन सभी लोगों को अपने भाइयों �"र बहनों की तरह गले लगाए, जो देश के सीमांत प्रदेशों में रहते हैं, �"र कभी-कभी खुद को देश से कटा हुआ सा महसूस करते हैं।

     ¨  एक ऐसा संवेदनशील समाज, जहां अभावग्रस्त बच्चे, बुजुर्ग �"र बीमार वरिष्ठ नागरिक, �"र गरीब लोग, हमेशा हमारे विचारों के केंद्र में रहें। अपने दिव्यांग भाई-बहनों पर हमें विशेष ध्यान देना है �"र यह देखना है कि उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में अन्य नागरिकों की तरह आगे बढ़ने के अधिक से अधिक अ�

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